Story of Life (जीवन की कहानी)
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हर रोज की तरह एक दिन पति काम पर गये। रास्ते मे जाते समय एक दुर्घटना हो गई और उसी स्थान पर उसकी मृत्यु हो गर्इ। मृतक के घर के सामने एम्बुलेंस डार्इवर और पुलिस के बीच बहस होने लगी कि यह दुखद समाचार बेचारी विधवा को कोन सुनाएगा, आखिर पुलिस ने दरवाजा खटखटाया और पत्नी को पति की मृत्यु से अवगत कराते हुये बताया कि उनकी लाश बाहर एम्बुलेंस में है। पत्नी और उसकी बेटी दोनो सदमे से चिख पडी और पत्नी बेहोश हो गर्इ। मृत्यु किसी की भी और किसी भी समय अचानक हो सकती है।दो सप्ताह बाद पडोसीयो ने एक टेम्पो को घर के सामने रूकते हुये देखा। टेम्पो नजदीक के फर्नीचर के दुकान से आर्इ थी। वह लोग सोफासेट, डार्इनिंग टेबल और एक आलमारी यहा तक डबल बेड तक लाद कर ले गये। पडोसी समझ गये कि यह सामान आसान किस्तो मे जमा करने वाली योजना के तहत ली गई होगी ।
काफी दिनो बाद पडोसीयो ने एक और तमाशा देखा। चार हटटे कटटे गुन्डे से दिखने वाले आदमी विधवा के घर पर आये। विधवा जो पडोसीयो को बहुत कम नजर आती थी, उन आदमीयो से बात की, आदमीयो ने उसे कागज का टुकडा दिखाया। जो शायद कोर्इ पत्र था और उसके पति की गाडी टयोटो कोरोला की तरफ इशारा किया। विधवा ने गाडी की चाबियाँ उसे दे दी और स्वयं अन्दर जाकर दरवाजा बन्द कर ली। उन चारो ने गाडी को थोडा धक्का लगाकर गाडी को स्टार्ट किया और उसे ले गये। वे लोग फार्इनेन्स कम्पनी की ओर से आये थे क्योकि पिछले दो महीनो से गाडी की किस्ते नही पहुचीं थी।
उसके कुछ दिनो के बाद विधवा को अखबार वाले से बात करते हुये सुना। बेचारी इतनी दुबली हो गर्इ थी कि उसे पहचानना मुश्कील था। उसे देखकर हृदय फटता था। ना वह किसी से बोलती थी और न ही उसकी आठ साल की बेटी अपने सहेलीयो के साथ खेलने जाती थी। विधवा ने बहुत धीमी आवाज मे अखबार वाले को समझाना चाहा क्योकि बात ही कुछ ऐसी थी। पर वह पत्थर दिल वाला तकाजे पर उतर आया। अचानक विधवा ने उसे रूकने को कहा और घर के अन्दर चली गर्इ पडोसीयो ने कुछ काच या प्लासिटक जैसा कुछ टुटने की आवाज सुनी। और साथ ही बच्ची के रोने की। मा मेरे पैसे मत लो। जाहीर था मा ने बच्ची का गुल्लक तोड दिया था। बेचारी ने सिक्को मे अखबार वाले को बिल चुकाया।
इसके बाद किसी ने उस विधवा को दोबारा किसी ने नही देखा। अजनबीयो से बुरी तरह घबराती। इसलिए स्वयं को घर के अन्दर बन्द कर लिया था। छोटी बच्ची को भी पडोसीयो के यहा जाने से मना कर दिया और खेल के मैदान मे भी उसका जाना बन्द कर दिया। बेचारी अपनी सहेलियो के लिए तरसती थी। आर्इसकि्रम वाला भी उस छोटी सी गुडिया को बहुत याद करता था।
फिर एक दिन दोपहर को एक मोटर सार्इकिल पर बैठा एक आदमी उसी घर के सामने रूका। उस आदमी ने भी उस घर का दरवाजा खटखटाया। काफी बार कोशिश करने के बाद भीतर से कोर्इ हलचल नही हुर्इ। उस व्यकित ने इधर उधर नजर दौडार्इ। उसने देखा पडोसीयो की कर्इ जोडी आखे उसकी ओर घुर रही है। सारे पडोसी एक स्वर मे हाथ हिलाहिला कर कह रहे है कि घर मे कोर्इ नही है। उस व्यकित को दाल मे कुछ काला सा लगा। इसलिए उसने एक पडोसी के घर जाकर अपना परिचय दिया मै भारतीय जीवन बीमा निगम का अभिकर्ता हु। मै विधवा को उसके पति के बीमे का 10 लाख रूपये का चेक देने आया हूँ । और मै इसलिए विधवा से मिलना चाहता हूँ ।
यह सुनकर पडोसन घर के पिछवाडे भागी और विधवा से कहा वह जल्दी दरवाजा खोले। किसी बीमा कम्पनी की ओर से तुम्हारे दरवाजे पर कोर्इ देवदुत के समान तुम्हारे दरवाजे पर तुम्हे मुसीबतो से उबारने के लिए आया है। इसके बाद पलक झपकते ही दरवाजा खुल गया। अभिकर्ता को अपनी आखो पर भरोसा नही हो रहा था कि यह वही महीला है जिनसे वह एक साल पहले मिला था।
अब तक घर के बाहर पडोसीयो की भीड लग गर्इ थी अभिकर्ता ने कहा, अब आप यह मत कहियेगा कि आप मुझे जानती ही नही। याद है मैने आपके घर मे बैठकर चाय पी थी? मै आपके पति को पालिसी बेचना चाहता था परन्तु आपने इसका विरोध किया था। आप नही जानती है कि मेरी मुलाकात आपके पति से अगले ही दिन हुर्इ थी और उन्होने मुझसे 5 लाख का बिमा करवा लिया था। पालिसी जीवीत अवस्था मे है। क्षमा किजीयेगा मै इतना विलम्ब करके आया हु। परन्तु मुझे बताया ही नही गया। आपके पति ने मुझसे कहा था कि मै इस बीमे की बात आपको ना बताउ, राज ही रखु। अब आप चिन्ता ना करे जाने वाले को तो हम नही ला सकते परन्तु अब इन बीमे के पैसो से आप अपनी जिम्मेदारीयो से जुझ सकती हैं।
प्यारे साथीयो हो सकता है बीमा खुशीया ना खरिद सके परन्तु बीमे का ना होना खुशीयो को जरूर नष्ट कर सकता है।यदि आप बीमा नही कराते तो आपका परिवार हरगिज भुखो तो नही मरेगा परन्तु यदि आप बीमा कराते है तो आपके ना रहने पर आपके परिवार को आपकी जिम्मेदारीयो से और अपनी मजबुरीयो का सामना करने मे सहायता जरूर मिलेगी।
मै र्इश्वर को बहुत बहुत धन्यवाद देता हु जो उसने मुझे इस प्रकार का पवित्र कार्य दिया है। जब हर व्यकित किसी परिवार का साथ छोडकर दुर चला जाता है उस समय हमारे जैसा कोर्इ अभिकर्ता निगम की सहायता से उसकी सहायता करता है। चुकि हमारा कार्य ऐसा है कि हमे घर घर जाकर उन्हे बीमे के लाभो को समझाना होता है। समाज मे कर्इ प्रकार के लोगो से मेरा सामना होता है। जो हमे तिरस्कारीत कर सुनना भी पसन्द नही करते। हम फिर भी भरसक प्रयास करते है कि उन्हे अपनी बात समझा सके। लोगो का मानना होता है ध्येय कमीशन का है तो मित्र दिल से कहता हु बात सिर्फ कमीशन की नही होती बात तो होती है आपके और आपके परिवार के हितो की आपके सपनो की। और निशिचत रूप से मै दिल से यह भी स्वीकार्य करता हु कि अभिकर्ता का अपना भी परिवार होता है उसकी अपनी भी जिम्मेदारीया होती है और वह उसके मेहनत के पारितोष के रूप मे उसे मिलती है।
मै आप सभी से विनम्र निवेदन करता हु आप निशिचत रूप से जीवन बीमा पालिसी कराले ताकि आपके परिवार को ऐसी किसी परिसिथतीयो का सामना करने मे सहायता मिल सके।
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